* सरकार हठधर्मिता छोड़े ,किसान संगठन कंधे से कंधा मिलाकर आर्थिक मंदी से लड़ने को तैयार
* कृषि व कृषक समस्याओं से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व कृषि मंत्री को कराया जाएगा अवगत
* संकट से उबरने का जल्द प्रयास नहीं किया गया तो स्थिति होगी बदहाल
न्यूज़ सर्च@रायपुर:- कोरोना संकट को लेकर देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच देश की कृषि और कृषकों के सामने आ रही चुनौतियों को मद्देनजर रखते हुए देशभर के पैतालीस किसान संगठनों के महासंघ ‘अखिल भारतीय किसान महासंघ’ (आईफा) ने अपने अनुशांगिक संगठनों से मांग, सुझाव व समाधान मांगा है ताकि इससे देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री औऱ केंद्रीय कृषिमंत्री को अवगत कराया जा सके।
भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजा राम त्रिपाठी ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई लेकिन इस दौरान खेती सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। रबी की फसल खेतों में तैयार हैं, फल-सब्जियां खेतों में सड़ रही हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसानों को कई प्रकार की समस्याएं आ रही है, जिनका निदान यदि शीघ्र नहीं किया गया तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था रसातल में चली जाएगी और ग्रामीण क्षेत्रों में अराजकता का माहौल सृजित हो जाएगा। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि देश की जीडीपी में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन कोरोना संकट से कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान किसानों को खेतों में एहतियाती उपाय के साथ काम करने की छुट दी गई है लेकिन कहीं-कहीं से खबरें आ रही है कि लॉकडाउन का कारण बताते हुए उन्हें खेतों में जाने से रोका जा रहा है। वहीं खेतों में फसले तैयार है, फल-सब्जियां मंडी तक नहीं पहुंच पा रही है और वह सड़ रही है। इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा सरकार द्वारा किसानों को जो सहुलियत देने की घोषणाएं की जा रही है ना तो वर्तमान संकट के दौर में वह पर्याप्त है और ना ही यह सभी किसानों तक पहुंच पा रहा है। इसके अलावा जो मजदूर शहरों में थे, वे इन दिनों अपने गांव आ गये हैं, इससे गांवों पर बोझ बढ़ा है और आय कम हुई है. इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए शीघ्र उपाय नहीं किये गये तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति बदहाल हो जाएगी और इससे पूरा देश प्रभावित होगा।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि इसी बात को ध्यान में रख कर आईफा ने अपने अनुसांगिक किसान संगठनों से इस समस्या के निदान के लिए सुझाव, मांग तथा समाधान के उपाय मांगे हैं, जिससे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री औऱ केंद्रीय कृषिमंत्री को अवगत करा कर किसी समाधान पर पहुंचने का प्रयास किया जाएगा। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि इन किसान संगठनों के अलावा भी यदि कोई सुझाव व समाधान आईफा को भेजता है तो उसका स्वागत है। देश की अर्थव्यवस्था को लाक डाउन से हुए गंभीर पक्षाघात से देश का कृषि क्षेत्र ही उबार सकता है, किंतु इसके लिए सरकार को भी देशहित में, हठधर्मिता छोड़कर ,पार्टी लाइन से ऊपर उठकर देश की लाइफ लाइन अर्थात किसानों से ,जमीनी किसान संगठनों से सीधा संवाद स्थापित करना होगा, किसानों के मन में फिर से विश्वास जगाना होगा। सरकार अगर हमारे सुझावों पर ठोस पहल और त्वरित अमल करती है तो देश के किसान कंधे से कंधा मिलाकर आर्थिक मंदी से लड़ने को तैयार हैं, और यही इन हालातो में अंतिम कारगर विकल्प भी हैं।
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