एक तरफ देश में कोरोना महामारी का घोर संकट है दूसरी तरफ मजदूर एवं बहुसंख्यक वर्ग में भय एवं भूख की चिंता व्याप्त है , भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी की सरकार देश की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले उन श्रमिक वर्गों के साथ छल कर रही है! केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज मैं भारी भरकम राशि उद्योगपतियों को देने की सोची समझी रणनीति है इस देश के गरीब मजदूर वर्ग आने वाले दिनों एवं सालों में भय एवं भूख की अकाल त्रासदी को झेलेंगे और यदि इस तरह के नये श्रम कानून जैसे फैसले को रोका नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं की भारत में वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होगी यह सरकार अघोषित रूप से सिविल युद्ध की ओर देश को धकेल रही है , और हो सकता है की तृतीय विश्व युद्ध का आगाज भारत से हो कोरोना संकट के समय श्रम कानून मैं बदलाव श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिए ! ना की उनके अहित में इस बीच मजदूर/ श्रमिकों का सबसे बुरा हाल है, इसके बावजूद उनके आठ के बजाएं 12 घंटे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था लागू करना अति दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है ! उक्त बातें डॉ प्रेमचंद जायसी प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा कहीं गयी !
आइये जाने इस नये श्रम कानून के लागू होने से मजदूरों की क्या स्थिति होगी
इस नए कानून के लागू होने से मजदूरों का हालात औदयोगिक क्रांति से पहले वाले जैसे हो जायेंगे पुराने को 3 साल तक स्थगित कर दिया गया है, इससे उद्योगपतियों की हिटलर शाही लागू होगी उन्हें अब श्रम कानून का पालन करना जरूरी नहीं रह जाएगा श्रमिकों से जुड़े सिर्फ तीन कानून ही प्रभावी होंगे बाकी सारे श्रमिक अनुबंध कानून 3 साल के लिए स्थगित कर कर दिए गए हैं औदयोगिक विवादों का निपटारा , व्यावसायिक सुरक्षा , श्रमिकों का स्वास्थ्य वह काम करने की स्थिति संबंधित कानून खत्म कर दिया है, औदयोगिक विवाद कानून और इंडस्ट्रियल रिलेशन एक्ट को भी निरस्त किया गया है ! पहले मजदूरों को बुनियादी सुरक्षा प्रदान करना मालिकों का दायित्व रहा है , किंतु अब नहीं रहेगा सरकार ने उन जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है जो उन्हें श्रमिकों के पक्ष में माननी पड़ती थी !
स्वतंत्रता के बाद बने श्रम कानून के प्रावधान / वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा संशोधन श्रम कानून 2020 का प्रावधान
(1) मजदूरों की शिफ्ट 8 घंटे की होती थी ,,अब 12 घंटे की होगी जो अमानवीय और विषमतापूर्ण है !
(2) काम की जगह पर फैक्ट्री में गंदगी नहीं कर सकते थे, मजदूरों के लिए स्वच्छ वातावरण बनाए रखना प्रबंधन का कानूनी दायित्व था ,,अब गंदगी प्रबंधन फैलाती है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं होगी !
(3) किसी मजदूर की तबीयत काम के दौरान खराब होती है तो उसे फैक्ट्री के मैनेजर को सूचित करना होता है जिसे वह उसका उचित इलाज मुहैया करा सके ,, अब किसी मजदूर की तबीयत काम के दौरान खराब होती है तो वह मजदूर की जवाबदारी होगी!
(4) शौचालय आदि की व्यवस्था प्रबंधन को करना अनिवार्य है ,, अब शौचालयो की व्यवस्था नहीं होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होगी !
(5) फैक्ट्री का मालिक श्रम कानून के नियम का पालन करते हुए बिना गलती के मजदूरों को नहीं निकाल सकता है ,, अब फैक्ट्री का मालिक अपनी सुविधानुसार मजदूरों को निकाल सकते हैं रख सकते हैं !
(6) श्रम न्यायालय मजदूरों के लिए हमेशा खुला है किसी प्रकार के अन्याय अत्याचार के खिलाफ वह कभी भी अदालत जा सकता है ,, अब बदहाली में काम करने पर इसे मजदूरो द्वारा किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी!
(7) महिला से श्रमिकों की पूरी सुरक्षा और बच्चों की सुरक्षा का दायित्व फैक्ट्री मालिक की है ,, अब महिला श्रमिकों की सुरक्षा बच्चों की सुरक्षा का दायित्व फैक्ट्री मालिकों की नहीं होगी !
(8) औदयोगिक इकाइयों का समय-समय पर सरकारी सर्वेक्षण भी किए जाने का प्रावधान है ,, अब औदयोगिक इकाइयों का कोई सरकारी सर्वेक्षण भी नहीं किया जाएगा !
(9) श्रमिक कल्याण कोष जिसमें मजदूर आकस्मिक आवश्यकता के लिए जमा किया करते थे ,, अब श्रमिक कल्याण कोष को समाप्त कर दिया गया !
(10) ओवरटाइम का पैसा सैलरी की प्रति घंटे का दुगना मिलता है ,, अब इसमें सैलरी के हीहिसाब से मिलेगा यानी किसी मजदूर की मजदूरी अगर 8
घंटे की ₹80 है तो 12 घंटे के हिसाब से ₹120 मिलेंगे !
(11) 8 घंटे के बीच 1 घंटे का रेस्ट दिया जाता है ,, अब 12 घंटे की शिफ्ट में 6 घंटे बाद 30 मिनट का ब्रेक दिया जाएगा जो स्वास्थ्य के हिसाब से अमानवीय है !
(12) ट्रेड यूनियन को को मान्यता देने वाला कानून एवं अनुबंध श्रमिकों व प्रवासी मजदूरों से जुड़े और कानून मजदूरों के हितों के संरक्षण के लिए थे ,, अब ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने वाला कानून भी अनुबंध श्रमिक व प्रवासी मजदूरों से जुड़े कानून खत्म !
(13) उद्योगो को अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में काम करने की छूट नहीं है ,, उद्योगों को अपनी सुरक्षा शिफ्ट में काम कराने की छूट दी गई है !
इस प्रकार सरकार देश की रीढ़ कहे जाने वाले मजदूरों को आदिमकाल में धकेल रही है, नए श्रमिक कानून मजदूरों के पैर में हथोड़ा चलाने और सीने में पत्थर रखना जैसा है ! इस काले कानून को यदि रोका नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं कि देश के 80% जनसंख्या जो श्रम और मजदूरी पर निर्भर है बेमौत मारे जाएंगे उनके परिवार स्वास्थ्य और भविष्य आदि की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी ! इस काले कानून को देश के भाजपा शासित राज्यों में आंख मूंदकर लागू कर दिए गए हैं , किंतु छत्तीसगढ़ में मजदूरों के शोषक इस कानून को लागू नहीं होने देंगे ! श्रमिकों के खिलाफ बने इस कानून को सख्ती से रोक लगाई जाने की मांग छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष डॉ प्रेमचंद जायसी ने केंद्र की सरकार से की है।
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