इतना ही नहीं आयुष मंत्रालय अब यह भी कह रहा है कि उसे दवा के क्लिनिकल ट्रायल संबंधी सभी दस्तावेज मिल गए हैं और वह शोध के नतीजों के सत्यापन के लिए इन दस्तावेजों का अध्ययन करेगा। आयुष मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड हरिद्वार की ओर से कोविड 19 के उपचार के लिए तैयार दवाओं के बारे मे उसे मीडिया से जानकारी मिली। दवा से जुड़े वैज्ञानिक दावे के अध्ययन और विवरण के बारे में मंत्रालय को कुछ जानकारी नहीं है। इस पत्र के आते ही बाबा रामदेव ने ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे दी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का विरोध एवं नफरत करने वालों के लिए यह घोर निराशा की खबर है।
लॉन्च होते ही विवाद
गौरतलब है कि पतंजलि आयुर्वेद की ‘दिव्य कोरोना किट’ के विज्ञापन पर आयुष मंत्रालय ने रोक लगा दी थी। मंत्रालय ने रामदेव की कंपनी से दवा के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था। पूछा है कि उस अस्पताल और साइट के बारे में भी बताएं, जहां इसकी रिसर्च हुई। वहीं उत्तराखंड सरकार से इस आयुर्वेदिक दवा के लाइसेंस आदि के बारे में जानकारी मांगी है।
कोरोना के 100% इलाज का दावा
मंगलवार को दवा लॉन्च करते समय रामदेव का दावा था कि यह इतनी असरदार है कि कोरोना के माइल्ड से मॉडरेट केसेज 3 से 7 दिन में रिकवर हो जाते हैं। उन्होंने ट्रायल के नतीजो का हवाला देते हुए यह दावा किया था। पतंजलि की ‘दिव्य कोरोना किट’ में तीन चीजें हैं- कोरोनिल, श्वसारि वटी और अणु तेल। कंपनी के अनुसार, कोरोनिल टैबलेट में गिलोय, तुलसी और अश्वगंधा मूल घटक हैं।
न्यूज़ सर्च@नई दिल्ली :- आयुर्वेद में कोरोना के सफल की दवा खोज लेने के बाद विवादों में घिरे बाबा रामदेव ने इस दवा से 100% इलाज का दावा किया था। इसके साथ ही आयुष मंत्रालय ने इस दवा पर संदेह जताते हुए दवा के क्लिनिकल ट्रायल पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद बाबा रामदेव ने अपने ट्वीट के साथ आयुष मंत्रालय का एक पत्र भी संलग्न किया है। दरअसल, पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण ने इस बारे में कल मंत्रालय को एक पत्र लिखा था। इसके जवाब में आयुष मंत्रालय ने आचार्य बालकृष्ण को जवाबी पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि उसे दवा के क्लीनिकल ट्रायल संबंधी सभी दस्तावेज मिल गए हैं। मंत्रालय शोध के नतीजों के सत्यापन के लिए दस्तावेजों का अध्ययन करेगा।
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