
पुडुचेरी विधानसभा में कांग्रेस अपना बहुमत साबित नहीं कर पाई है. सोमवार को स्पीकर ने ऐलान किया कि सरकार के पास बहुमत नहीं है. इसके बाद मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. गौरतलब है कि विधानसभा में कांग्रेस के पास उसके 9 विधायकों के अलावा 2 डीएमके और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है.यानी कांग्रेस के पास 11 विधायकों (स्पीकर को लेकर 12) का समर्थन है, जबकि विधानसभा की वर्तमान स्थिति के मुताबिक उसे बहुमत के लिए 14 विधायकों का समर्थन चाहिए. हालांकि, फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री नारायणसामी दावा करते रहे कि उनके पास निर्वाचित विधायकों में से बहुमत है.
क्या है विधानसभा का गणित 33 सदस्यीय पुडुचेरी विधानसभा में 30 सदस्य निर्वाचित और 3 सदस्य केंद्र सरकार की ओर से मनोनित होते हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं. एक विधायक को पार्टी द्वारा पिछले साल दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था. इसके अलावा पांच विधायक अब तक इस्तीफा दे चुके हैं.डीएमके ने कांग्रेस का समर्थन किया है. उसके तीन विधायक थे, लेकिन रविवार को इनमें से एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया. रविवार देर शाम तक कांग्रेस गठबंधन के पास 11 विधायकों (स्पीकर को छोड़कर) का समर्थन ही था, जिसमें कांग्रेस के 9, डीएमके के 2 और एक निर्दलीय विधायक शामिल है. अगर स्पीकर को जोड़ ले तो आंकड़ा 12 हो जाता है.छह विधायकों के इस्तीफे और एक अयोग्यता के बाद पुडुचेरी विधानसभा की संख्या 26 है. प्रमुख विपक्षी दल ऑल इंडिया एन आर कांग्रेस, ने 2016 के चुनावों में 8 सीटें जीती थीं, लेकिन उसका एक विधायक अयोग्य घोषित हो गया था और बाद में इस सीट को डीएमके ने जीत लिया था. यानी अभी AINRC के पास 7 विधायक, AIADMK के पास 4 विधायक हैं.वहीं, बीजेपी के पास 3 मनोनित विधायक हैं. यानी सरकार के समर्थन में 12 विधायक (स्पीकर को लेकर) हैं, जबकि विपक्ष में 14 विधायक हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसके पास निर्वाचित विधायकों में से बहुमत है, यानी 23 में 12 विधायक उसके साथ हैं. हालांकि, कांग्रेस का यह दांव नहीं चला और उसकी सत्ता से विदाई हो गई है.
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